श्री राम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या
राम जन्मभूमि मंदिर भारत के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है, जो सदियों से चली आ रही आस्था, धैर्य और संघर्ष की विजय गाथा है। अयोध्या की पावन धरती पर भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में विख्यात इस स्थल पर बन रहा भव्य मंदिर करोड़ों हिंदू श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
राम जन्मभूमि का महत्व
हिंदू धर्मग्रंथ रामायण के अनुसार, अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र और भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम का जन्म इसी पवित्र भूमि पर हुआ था। रामायण में अयोध्या को 'नगरी रामपतेर्हि' कहा गया है, जिसका अर्थ है राम की नगरी। राम जन्मभूमि का उल्लेख रामायण के अलावा तुलसीदास के रामचरितमानस जैसे अन्य ग्रंथों में भी मिलता है। सदियों से हिंदू श्रद्धालुओं के लिए यह स्थल विशेष महत्व रखता है।
मंदिर निर्माण का शुभारंभ
2019 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें राम जन्मभूमि को हिंदू पक्ष को सौंपने का आदेश दिया गया। इस फैसले के बाद पूरे देश में हर्षोल्लास का माहौल छा गया। राम जन्मभूमि न्यास का गठन किया गया और मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया।
5 अगस्त 2020 को मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी गई तथा इस अवसर पर देश के गणमान्य व्यक्तियों और धर्मगुरुओं की उपस्थिति थी।
राम जन्मभूमि मंदिर की भव्यता
राम जन्मभूमि मंदिर, केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि करोड़ों हिंदुओं के लिए आस्था का प्रतीक है। भगवान राम के जन्मस्थान पर निर्मित यह भव्य मंदिर, अपनी अद्भुत वास्तुकला, शानदार कलाकृति और दिव्य वातावरण के लिए जाना जाता है।
वास्तुकला का अद्भुत नमूना
यह मंदिर नागर शैली की वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। मंदिर का निर्माण राजस्थान के गुलाबी बलुआ पत्थर से किया गया है, जो इसे एक अनोखी भव्यता प्रदान करता है। मंदिर में तीन मंजिलें हैं और इसका शिखर 161 फीट ऊंचा है। मंदिर के चारों ओर विशाल स्तंभों की कतारें हैं, जो इसकी भव्यता में चार चांद लगाते हैं।
कलाकृतियों का अद्भुत प्रदर्शन
मंदिर में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की अनेक मनमोहक मूर्तियां हैं। मंदिर की दीवारों पर रामायण की विभिन्न घटनाओं को दर्शाने वाली कलाकृतियां उकेरी गई हैं। इन कलाकृतियों को देखकर भक्तों को रामायण काल में ले जाने का अनुभव होता है।
दिव्य वातावरण
मंदिर का वातावरण अत्यंत शांत और दिव्य है। मंदिर में बजने वाले भजन और मंत्रों की मधुर ध्वनि भक्तों के मन को शांति प्रदान करती है। मंदिर में प्रवेश करते ही भक्तों को एक अद्भुत ऊर्जा का अनुभव होता है।
रामलला प्राण प्रतिष्ठा एक ऐतिहासिक क्षण
22 जनवरी 2024 का दिन भारतीय इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज हो गया, जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन हुआ। यह क्षण न केवल हिंदुओं के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए भावनाओं और भक्ति का प्रतीक था।
प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान अत्यंत विधिवत और भव्यता से संपन्न हुआ। देश भर से लाखों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने अयोध्या पहुंचे थे। वेद मंत्रों की गूंज, भक्तिमय गीतों की स्वर लहरियां, और राम नाम की जयकार से पूरा वातावरण गुंजायमान था।
राम जन्मभूमि मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और इतिहास का भी प्रतीक है। यह मंदिर हमें भगवान राम के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करता है।
उपरोक्त लेख अगर आपको जानकारी पूर्ण लगा हो तो कृपया अपना रिवियू क्लिक करके दर्ज करें,