सामुदायिक आधारित आयोजन (CBE) | ऑ.जो.न.

सामुदायिक आधारित आयोजन (CBE)

सामुदायिक आधारित आयोजन (CBE) 

आंगनवाड़ी केंद्रों में CBE (Community-Based Events) विभिन्न समुदाय आधारित गतिविधियां होती हैं, जिनका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं और बच्चों को स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा संबंधी जागरूकता देना है।​​

CBE क्या है?

CBE यानी सामुदायिक गतिविधि, जिसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता विशेष विषयों पर लाभार्थियों को जानकारी देती हैं जैसे:

  • गर्भावस्था और शिशु देखभाल
  • अन्नप्राशन और गोदभराई
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य संदेश
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना आदि योजनाएं​​

आंगनवाड़ी की मुख्य सेवाएं

  • अनुपूरक पोषाहार वितरण
  • टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच
  • पोषण शिक्षा
  • बच्चों को विद्यालय-पूर्व शिक्षा देना​

CBE के रजिस्टर में जानकारी कैसे लिखें?

आयोजन की तारीख, केंद्र का नाम, लाभार्थियों की संख्या और प्रतिभागियों के नाम व हस्ताक्षर दर्ज किए जाते हैं।चर्चा किए गए विषयों का संक्षिप्त विवरण लिखा जाता है; उदाहरण के लिए गर्भवती महिलाओं की देखभाल, पोषण संबंधी जानकारियां, बच्चों का वजन आदि.​

अन्य उपयोगी बातें

आंगनवाड़ी केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य व विकास को बढ़ावा देते हैं.​

सरकार द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मानदेय भी मिलता है, जिसमें समय-समय पर वृद्धि होती रहती है.​

इस प्रकार, आंगनवाड़ी केंद्रों में CBE विषयों के माध्यम से सामुदायिक जागरूकता और सेवा प्रदान की जाती है, जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों, माताओं और महिलाओं का संपूर्ण विकास करना है.

सामुदायिक आधारित आयोजन (CBE) हेतु ₹250 खर्च सम्बन्धी सरकारी दिशा-निर्देश इस प्रकार हैं:

₹100: आयोजन से जुड़े अनुष्ठानों एवं आवश्यक सामग्रियों पर खर्च

₹125: प्रतिभागियों को प्रदान की जाने वाली चाय व नाश्ता जैसी अल्पाहार व्यवस्था

₹25: आयोजन के दौरान होने वाले अन्य आकस्मिक/अतिरिक्त व्यय

यह राशि वितरण केवल मार्गदर्शक है; आगनवाड़ी कार्यकर्ता (AWWs) स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार इसमें लचीलापन रख सकती हैं।

पोषण ट्रैकर योजना के अंतर्गत CBE के प्रमुख विषय

1. अन्नप्राशन दिवस:

   शिशु के छह माह पूरे होने पर पूरक आहार की शुरुआत के महत्व पर जागरूकता।

2. गोद भराई:

   गर्भवती महिलाओं के सम्मान एवं परामर्श हेतु आयोजन, जिसमें मातृ पोषण पर विशेष ध्यान।

3. सुपोषण दिवस:

   पति एवं परिवार के सदस्यों को बाल एवं मातृ पोषण के बारे में जागरूक करने के लिए।

4. स्वास्थ्य एवं स्वच्छता:

   व्यक्तिगत स्वच्छता, साफ-सफाई एवं रोग निवारण पर जागरूकता सत्र।

5. पहले 1000 दिन का महत्व:

   गर्भाधान से लेकर बच्चे के दो वर्ष तक उचित पोषण व देखभाल के महत्व पर शिक्षा।

6. विकास निगरानी:

   माता-पिता को बच्चों की वृद्धि की निगरानी व समय पर हस्तक्षेप के बारे में जानकारी व प्रदर्शन।

7. विशेष स्तनपान:

   जन्म के पहले छह माह केवल माँ का दूध पिलाने के महत्व का प्रचार।

8. एनीमिया की रोकथाम:

   माताओं व बच्चों में एनीमिया की रोकथाम एवं उपचार संबंधी जानकारी।

CBEs के दौरान की जाने वाली अतिरिक्त गतिविधियाँ

  •  नुक्कड़ नाटक, कठपुतली शो, लोक नृत्य, कहानी-कथन के माध्यम से संदेशों का प्रसार
  •  स्वास्थ्य जांच शिविर, स्वच्छता सामग्री का वितरण, वजन व ऊंचाई मापन
  •  स्थानीय खाद्य प्रदर्शनी, व्यंजन प्रदर्शन, विशेषज्ञों द्वारा विशेष व्याख्यान